बिडंबना
कवि मनोज कुमार साहु
सबसे बड़ा दौलत संतोष है
लेकिन नफरत की खेती करने में सब उतारू हैं
आजकल की दुनिया में
हर देश , हर इंसान
अपने पड़ोसी को हथियार के बल पर
डराना चाहता है
पड़ोसी भी कहां पीछे है
विडंबना ऐसी है
ईंट का जवाब
तोप से देने पर आमादा है ।
सबसे बड़ी त्रासदी
दुनिया में युद्ध है
आज हर देश
तोप बंदूक मिसाइलों के दम पर
अपने को ऊंचा दिखाने पर आमादा है
खुद निजात करता है विनाशकारी अस्त्र
सामने वाले को अहिंसा का पाठ पढ़ाता है
विडंबना ऐसी है
समूची दुनिया
बारूद के ढेर पर बसी है ।
सबसे नायाब प्राणी मनुष्य है
लेकिन विडंबना यह है
विनाशकारी युद्धास्त्र एकत्र से
किसका भला करना होना है ?
अमेरिका रूस चाइना भारत फ्रांस
और तमाम देशों के
असलहा केवल
मानवता के सर पर मंडराता
काल रूपी गिद्ध है
विडंबना ही विडंबना है ।.