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शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

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                        दीपावली


       
              कवि मनोज कुमार साहु

आज प्रकाश का त्यौहार है ?
 लेकिन प्रकाश कहाँ है ?
कल आज सदियों से
गरीब के घर में अंधेरा है

 दशकों पहले हामिद ने
 बिना जूतों के सिर पर पुरानी टोपी,
 देह पर मैले फटे कुर्ता पहने
दिल के अरमान मारे
क्या ईद मनाया था ?

 आज भी हर गांव में
 शहर किनारे बसी झुग्गियों में
हामिद जैसे कितने बच्चे
 रोटी से दूर हैं ।

आज प्रकाश का त्यौहार है ?
 लेकिन प्रकाश कहाँ है ?
 त्रेता युग में एक रावण था
 एक कुंभकरण भी
 आज का स्वयंभू राम
 रावण से भी भयंकर है !
 रावण सहस्त्र फनधारी तक्षक है
 आज प्रकाश का त्यौहार है ?

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Kavita achhi hai. Lekin kavita k hisab se sirsak mujhe sahi nahin lagi.

Unknown ने कहा…

Laga.

Kavitabhumi.blogspot.com ने कहा…

धन्यवाद मित्र सुझाव के लिए

Kavitabhumi.blogspot.com ने कहा…

Thank you

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