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शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

Priyatama - 4 CLICK HERE

   प्रियतमा {4}

                         कवि मनोजकुमार साहु

 तू याद आती है
 जब प्रियतमा !
 होता हूँ पागल मतवाला
 क्या करूँ ,क्या कहूँ ?
 नहीं जानता।
 बढ़ जाता है
 धड़कन दिल का।
 एक - एक धड़कन
 तेरे नाम लेते,
 क्या करूं मैं ?
 तू याद आती है ,
जब प्रियतमा ।

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