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शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

Priyatama -( 5) CLICK HERE

                       प्रियतमा - (5)

                        कवि : मनोज कुमार साहु

दशा देख कर मेरा
 जग हँसता,
यह तुझे मालूम
मैं नहीं कहूँगा,
 अपने दिल से पूछ ले
 और किसी को मत बता
 मुझे सताता है डर
कहीं तू दुखी
न हो जा प्रियतमा।

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