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गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

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 प्रियतमा ( 1 )

  
     

                   कवि : मनोजकुमार साहु


 स्वागत स्वागत लाख स्वागत
         प्रेम की दुनिया में ;
 अपलक नयन से ,
         शब्द सुमन भरी कलम -
 अर्पित करने युग युग से
         खड़ा प्रतीक्षारात प्रेमी ।
 निराश न कर ;
         कबूल हाथ प्रीतम के ।।

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