Total pageviews

Home

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

NETA * CLICK HERE

               नेता


                                  कवि : मनोजकुमार साहु

            • नेता •

 सड़क से संसद तक अनगिनत नेता
 नाम बदलकर कर देना चाहिए 'लेता '
 क्योंकि जनता को लूट लूट कर ;
 इनका जी नहीं कभी भरता ।

             कौन सच्चा कौन झूठा ?
             समझ नहीं पाती जनता
             जांच परख के मालूम पड़ा,
             एक मगरमच्छ - दूसरा चीता ।

 देश चाहे खड्डे में गिरे -
 पिसती रही जनता ।
 सेवा तो खाली खोखला वायदा
 वोट से झोला कैसे भरेगा ?
 बस रह गई एक चिंता ।

            एक - दूसरे पर कीचड़ उछाल के
            खुद बनते हो सुथरा ,
            सुबह से सुबह तक
            बैंक खाते के अंक बढ़ाने में बीतता ।

 देशवासी पीसें महंगाई चक्की
 उनका तो कुछ नहीं जाता,
 एक दो को छोड़कर
 ऐसे हैं आजकल के नेता ।।


कोई टिप्पणी नहीं:

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...