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शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

Priyatama - (6) CLICK HERE

                 
                             प्रियतमा

                        कवि मनोज कुमार साहु

सोच जब थी तू पास ,

छूता था अधर तेरा
 खिसक जाती थी पाश से
 कंजूसी मत कर मत कर
 पछताएगी बाद में
 मैं कहता था ।


लिपट जाती थी प्यार से
उस पल का क्या
करूँ बयां प्रियतमा ?

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