खामोशी से क्यों रौंदोगे हमें
तुम्हारे पास हमारी दी हुई ताकत जो है ।
वाह वाह वाह!
तुम्हारी दरियादिली की सब कायल हैं ।
क्योंकि तुम शोषण करते थे कल तक
आज तुम्हारे लस्कर हमारे लिए
बुलवाये गये हैं ।
जबतक तुम्हारे पास है तख्त
अपना गरूर मत छोडना
तुम्हारी दाद देता हूँ- नाटकवाजी के लिए
कोड़े बरसाते हुए
मगरमच्छ के आँसू के लिए
हम भी कितने पागल थे
तुम पर भरोसा करके
खुद का सर्वनाश कर लिए
तुम भी कितने झूठे हो
तुम्हारी हर कुचाल को
हम समझ चुके हैं
तुम्हारे रसगुल्ले में
ना रस हे ना मिठास है
उसमें सिर्फ षडयंत्र का जमालघोटा है
जो करते हैं तुम्हारी चापलूसी
वो भी समझ चुके हैं
तुम्हारे हाथ के चाबुक
उन पर पडने वाले हैं ।
©️मनोज कुमार
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