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गुरुवार, 7 मार्च 2019

शायर : मनोज कुमार साहु

   

      शायर  : मनोज कुमार साहु

  ( बेवफ़ाई )


      बेवफाई तो इस कदर है
      सोचे थे -
 गुजारेंगे ताउम्र जिसके साथ
 उसे तो बेवफाई की बीमारी है
             --●--

   ( भँवरे माशूक़ )


 रे भँवरे माशूक !
                तुझे क्या पता ?
 हम वह नगीना हैं -
               जिसे सिर्फ जोहरी  पहचान सकता है ।
                       --●--

    ( मोहब्बत )


 मोहब्बत वह चीज है
 उसका कोई मोल नहीं है
 मोहब्बत की खरीद फरोख्त करने वाले
 इंसान कहने लायक नहीं है ।

               --●--

   ( सीख )



 जंग और मोहब्बत
 ऊँची शख्सियत से करो
 हार जाने पर भी
 अच्छी सीख मिलती है

          --●--

   ( आँसू )


   आँसू बहाओ मत उस शख्स के लिए
   जो इसके काबिल नहीं है
   आँसू आँखों का पानी नहीं
   टूटे दिल के मरहम हैं ।

               --●--

  ( दिल )


  दिल अगर देना है किसी को
  सोच समझ कर दिया करो
  दिलदार अगर ना मिले
  ऐरे गैरे को दिल ना दिया करो ।

             --●--

   ( दिल टूटने के बाद )


  दिल टूटने के बाद
  सोचा मैखाने जाऊँ
  वहाँ जाकर देखा
  साकी सुराही सब में तू ही तू ।

               --●--

    ( नशा )

   नशा बुरी बला है
   सोच समझ कर करना
   मोहब्बत और शराब नशा है
   सोच समझ कर करना ।

          --●--

   ( पागल - माशूक़ )


 पागल और माशूक में
 कोई फर्क नहीं होता
 जंग और मोहब्बत में
 कोई फर्क नहीं होता

            --●--

  ( जानवर और इंसान )


  जानवर और इंसान में
  सिर्फ इतना फर्क है
  जानवर प्यार में जान नहीं ले सकता
  इंसान ले सकता है ।

               --●--






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