शायर : मनोज कुमार साहु
( बेवफ़ाई )
बेवफाई तो इस कदर है
सोचे थे -
गुजारेंगे ताउम्र जिसके साथ
उसे तो बेवफाई की बीमारी है
--●--
( भँवरे माशूक़ )
रे भँवरे माशूक !
तुझे क्या पता ?
हम वह नगीना हैं -
जिसे सिर्फ जोहरी पहचान सकता है ।
--●--
( मोहब्बत )
मोहब्बत वह चीज है
उसका कोई मोल नहीं है
मोहब्बत की खरीद फरोख्त करने वाले
इंसान कहने लायक नहीं है ।
--●--
( सीख )
जंग और मोहब्बत
ऊँची शख्सियत से करो
हार जाने पर भी
अच्छी सीख मिलती है
--●--
( आँसू )
आँसू बहाओ मत उस शख्स के लिए
जो इसके काबिल नहीं है
आँसू आँखों का पानी नहीं
टूटे दिल के मरहम हैं ।
--●--
( दिल )
दिल अगर देना है किसी को
सोच समझ कर दिया करो
दिलदार अगर ना मिले
ऐरे गैरे को दिल ना दिया करो ।
--●--
( दिल टूटने के बाद )
दिल टूटने के बाद
सोचा मैखाने जाऊँ
वहाँ जाकर देखा
साकी सुराही सब में तू ही तू ।
--●--
( नशा )
नशा बुरी बला हैसोच समझ कर करना
मोहब्बत और शराब नशा है
सोच समझ कर करना ।
--●--
( पागल - माशूक़ )
पागल और माशूक में
कोई फर्क नहीं होता
जंग और मोहब्बत में
कोई फर्क नहीं होता
--●--
( जानवर और इंसान )
जानवर और इंसान में
सिर्फ इतना फर्क है
जानवर प्यार में जान नहीं ले सकता
इंसान ले सकता है ।
--●--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें