● शायरी मनोजकुमार साहु की
( दर्द )
दर्द वह नहीं है
जिससे तुम तड़पते हो
दर्द वह है
जिसे सोचने भर से तुम कराहते हो
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( भूख )
भूख का मतलब क्या जानोगे तुम अमीरो
भूख का मतलब उस माँ से पूछो
जो अपनी कोख में लिए संतान को
जी तोड़ मेहनत मजदूरी करती है
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( आँखें )
तू लाख इंकार कर पहचानने से
लेकिन तेरी नादान मासूम आँखें
कभी भूल नहीं सकती हमें
आज भी मोहब्बत करती तेरी आँखें हमें
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( नज़र )
जब लौटता हूँ
मैखाने से जाम पीकर
सब भूल जाता हूँ
सिवाय तेरी तिरछी नज़र
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( आशिक )
हम भी मशहूर आशिक हैं
लेकिन नहीं हैं किस्से हमारे
लोगों के जवान पर
सारा इल्जाम लगाता हूँ ज़माने पर
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( मशहूर )
हीर - रांझा, श्री - फरियाद मशहूर हुए
हम तुम मशहूर हुए नहीं
क्योंकि मोहब्बत पर इल्जाम,
या सरकार का कोई पहरा नहीं
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( मरहम - मर हम )
'मरहम' लगाने आए हो
जिंदा हैं या 'मर हम' गए
यह देखने, बहाना करके आए हो
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