● मुझे पसंद है ●
कवि मनोजकुमार साहु
तेरे पैरों की लालिमा ,
मात देती है पलाश की पंखुड़ियों को।
तेरे होंठ को ,
गुलाब के पंखुड़ियां तो नहीं कहूंगा
लेकिन वह मात देते हैं गुलाबी गुलाल को।
तेरी आँखे इतनी खूबसूरत है
इसीलिए लग न जाए नजर किसी की
काजल से उसे रंग दे।
तेरी बिखरी बिखरी जुल्फों को
पड़े रहने दे बेदर्दी से
उसे मत सँवारना
नशा ए शराब को भी मात देती हैं।
ऐसे तू ठीक है - मुझे पसंद है।
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