Total pageviews

Home

सोमवार, 25 मार्च 2019

पसंद ह

● मुझे पसंद है ●


           कवि मनोजकुमार साहु 


  तेरे पैरों की लालिमा ,
  मात देती है पलाश की पंखुड़ियों को।
  तेरे होंठ को ,
  गुलाब के पंखुड़ियां तो नहीं कहूंगा
  लेकिन वह मात देते हैं गुलाबी गुलाल को।
  तेरी आँखे इतनी खूबसूरत है
  इसीलिए लग न जाए नजर किसी की
  काजल से उसे रंग दे।
  तेरी बिखरी बिखरी जुल्फों को
  पड़े रहने दे बेदर्दी से
  उसे मत सँवारना
  नशा ए शराब को भी मात देती हैं।
  ऐसे तू ठीक है - मुझे पसंद है।

कोई टिप्पणी नहीं:

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...