● दकियानूसी सोच ●
कवि मनोजकुमार साहु
तुम गरीब हो तो टपोरी हो
तुम गरीब हो तो मूर्ख हो
तुम गरीब हो तो बेईमान हो
तुम गरीब हो तो अज्ञानी हो
तुम गरीब हो तो विश्वास के लायक नहीं हो
तुम गरीब हो तो भरोसेमंद भी नहीं हो
तुम गरीब हो तो चोर भी हो सकते हो
तुम गरीब हो तो हंसी का पात्र हो
तुम गरीब हो तो तुम में -
विचार नाम की कोई चीज ही नहीं है
तुम गरीब हो तो तुम्हें कोई पूछता भी नहीं
तुम गरीब हो तो
हंसी ठिठोली का पात्र भी हो
तुम गरीब हो तो
सुनहरे सपने भी नहीं देख सकते
तुम गरीब हो तो
अधिकार भी नहीं है समाज में
ऐसा सोचते हैं कुछ दकियानूसी लोग
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