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शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

Priyatama (7) CLICK HERE


                           प्रियतमा  (7)


                      कवि : मनोज कुमार साहु


 होठों की लाली को
 जब मैं अपनाता
 लाज से होती तू छुईमुई सी।
 क्या था वह तेरा कसूर ?
 यह तो श्रेष्ठ आभूषण तेरा,
 ठीक कहती थी
 आज बता दूँ ;
 कल का क्या भरोसा ?
 सुनले नवोढ़ा प्रियतमा।

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