दिल बेकरार हो जाता है
लम्हा लम्हा मुझको सनम
तेरी सांसों की महक में
रहना ऐ दिल चाहता है।
अगर रोज ना देखूं तेरी आंखें
आंखें मेरी तुम्हें ढूंढती है
पल पल मुझको सनम
तेरी आंखों की गहराई में
डूब जाना जी चाहता है।
अगर किस रोज़ तुम ना मिलो
दिल मेरा घबराता है
बस एक बार तुझको सनम
देख लेने की तमन्ना रहती है।
अगर रोज ना देखूं तेरा चेहरा
दिल बेकरार हो जाता है।
©️ मनोज कुमार साहु