शायरी
कवि मनोजकुमार साहु
⚪सीप और मोती⚪
मोहब्बत करना है तो
फूल या भौंरा जैसे ना करो
मोहब्बत करना है तो
सीप और मोती जैसे करो
भौंरा फूल से मिठास लेकर
दूर हो जाता है
सीप मोती को
अपने सीने में छुपा कर रखता है
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सिद्दत 😊
वह मोहब्बत भी क्या
जो सिद्दत से निभाया ना जए
वह नफ़रत भी भी क्या
जो सिद्दत से निभाया ना जए
मोहब्बत-नफ़रत, दोस्ती-दुश्मनी
सिद्दत के सिवा सब बेकार
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तड़प
हमसे जो दिल लगाएगा
वह भी तड़पेगा
हमसे जो दुश्मनी करेगा
वह भी तड़पेगा
फ़र्क सिर्फ़ इतना होगा
मोहब्बत और दुश्मनी में
कोई हमें देखने के लिए तड़पेंगे
कोई देख कर तड़पेगा
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ए नर्गिस !
दर्द पर इतना भी ना लगा मरहम
ए नर्गिस मस्ताना !
कहीं हम सीख ना ले चोट खाना
और तू मरहम लगाना
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