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बुधवार, 16 नवंबर 2022

मंगलवार, 15 नवंबर 2022

जय झांसी वाली रानी की। ©️ मनोजकुमार साहु

तलवारें जब खुलती थी म्यान से
शत्रु हाथ धोता था जान से
वीरगति मिली तुम्हें शान से
चरण धूलि को तेरी नमन मान से
शत्रु की खोपड़ी टूटती
 जिनके पदाघात से
स्वतंत्रता की ज्वाला फूटती
      उनकी रण हूंकार से

काँप उठती थी सेना
 फिरंगिओं की
सुन लेने भर से
जय झांसी वाली रानी की
जय झांसी वाली रानी की
जयघोष करो शान से 
               ***
©️ मनोजकुमार साहु 

लोकतंत्र की हत्या ©️मनोजकुमार साहु

जिस दिन तानी थी बंदूक
बापू पर नाथूराम ने
उसी दिन लोकतंत्र की
 पहली हत्या हुई थी
 हिंदुस्तान में 
तब से लेकर आज तक         लोकतंत्र की हत्या 
बदस्तूर जारी है
लोकतंत्र में 'लोक' 
बंदर के हाथों का बैंगन
संस्थाएं मदारी के हाथ का हंटर जनता लाचार खड़ी है
लोकतंत्र की हत्या
बदस्तूर जारी है
जब खरीदे जाते हैं सांसद
जब बिकने लगते हैं विधायक 
गिराई जाती हैं
चुनी हुई सरकारें
झूठ बोला जाता है संसद में 
तब तब घोंपा जाता है खंजर   लोकतंत्र की छाती में
लोकतंत्र पर गुंडा तंत्र भारी है     लोकतंत्र की हत्या 
बदस्तूर जारी है
  ©️ मनोजकुमार साहु 

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...