जिस दिन तानी थी बंदूक
बापू पर नाथूराम ने
उसी दिन लोकतंत्र की
पहली हत्या हुई थी
हिंदुस्तान में
तब से लेकर आज तक लोकतंत्र की हत्या
बदस्तूर जारी है
लोकतंत्र में 'लोक'
बंदर के हाथों का बैंगन
संस्थाएं मदारी के हाथ का हंटर जनता लाचार खड़ी है
लोकतंत्र की हत्या
बदस्तूर जारी है
जब खरीदे जाते हैं सांसद
जब बिकने लगते हैं विधायक
गिराई जाती हैं
चुनी हुई सरकारें
झूठ बोला जाता है संसद में
तब तब घोंपा जाता है खंजर लोकतंत्र की छाती में
लोकतंत्र पर गुंडा तंत्र भारी है लोकतंत्र की हत्या
बदस्तूर जारी है
©️ मनोजकुमार साहु