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बुधवार, 15 मई 2019

shayari


                      मनोज कुमार साहु
         
                           ● शायरी ●

                 कसम

 कसम है तुझे तेरी बेवफाई की
 कब्र पर मेरे एक बूँद आँसू ना बहाएगी ।

                ना आना

 पनघट में देखा था तुझे पहली मर्तबा
 मेरी मौत की खबर से मरघट ना आना महबूबा ।

                 धूल 

 तू भी धूल है
 मैं भी धूल हूँ
 फर्क सिर्फ इतना है
 तू खुद को हिमालय समझता है
 मैं खुद को धूल समझता हूँ

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