तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ
कवि मनोज कुमार साहू
तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ ?
इजाजत ले लूँ सोचता हूँ हमेशा
लेकिन तेरी इंकार के डर से
या कहीं तू रूठ ना जाए
इजहार नहीं कर पाता हूँ
कहीं दूर ना चली जाए तू मुझसे
तेरी फिक्र करता रहता हूँ
और किसी की ना हो जाए तू
डर के साए में हमेशा रहता हूँ
तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ ?
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1 टिप्पणी:
Very interesting poem sir.feelingful lines.God fulfill ur every
dreams.
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