गुस्ताखी मत करना
कवि मनोज कुमार साहु
भले ही अंधेरे में रहो ताउम्र
रोशनी छीनने की
गुस्ताखी मत करना।
जो है ईमान वाला
उसे दौलत से तोलने की
गुस्ताखी मत करना।
मिट गए हैं कितने दौलत वाले,
मिट जाते हैं
इमान वालों का वजूद मिटाने वाले।
©️मनोज कुमार
दामन
कवि मनोज कुमार साहु
तूने खाई थी कसमें,
ताउम्र साथ चलने का
तूने बेवफाई का दामन बचाए रखा
हमने वफा का दामन बेदाग रखा।
©️मनोजकुमार
वादा
कवि मनोज कुमार साहु
जो वादा करते जिंदगी भर के लिए
तुझ जैसा राहों में, साथ छोड़ा नहीं करते।
लेकिन हाथ पकड़ने के हमने कभी वादे किए थे
जिंदगी भर वादा नहीं भूले हैं ।
©️मनोज कुमार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें