इंसान तू सोच !
कवि मनोज कुमार साहु
इंसान तू सोच !क्यों जन्मा है धरती पर
क्या कर रहा है धरती पर
क्या पाया है धरती से
और क्या कमा कर जाएगा धरती पर ???
इंसान तू सोच !
क्यों लड़ रहे हैं लोग आपस में
क्यों दौड़ रहे हैं धन के पीछे
शादियों से ऐसा क्यों होता है
जबकि सबको मिलना है मिट्टी में
इंसान तू सोच !
दुनिया में सबसे कीमती क्या है,
क्या यश कीर्ति प्रेम नहीं है,
तो उसके लिए क्या कर रहा है ?
कहीं खराब ना हो जाए यह जन्म ध्यान रहे ।
इंसान तू सोच !
घमंड विद्वत्ता को खा जाता है ।
ईर्ष्या इंसान को,
चाटुकारिता पुरुषार्थ को,
इन से तौबा करना बुद्धिमानी है ।
इंसान तू सोच !
तुझे सोचना पड़ेगा
क्योंकि तू इंसान है,
श्रेष्ठ गुण तेरे रग रग में है
क्योंकि तू इंसान है ।
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