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शनिवार, 26 जनवरी 2019

प्रियतमा 15

          प्रियतमा (15)

 कवि मनोज कुमार साहु


  पागल मजनू -
  दीवाना बन ,
  फिरता रहा मारा मारा ।
  एकांत पाया एक दिन उसे 
  आस लगाकर जा बैठा ।
  नजर नीची 
  नाखून कुतरती 
  खामोश थी प्रियतमा ।

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