Total pageviews

Home

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ


तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ

                      कवि मनोज कुमार साहू


  तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ ?

  इजाजत ले लूँ सोचता हूँ हमेशा

  लेकिन तेरी इंकार के डर से

  या कहीं तू रूठ ना जाए

  इजहार नहीं कर पाता हूँ

  कहीं दूर ना चली जाए तू मुझसे

  तेरी फिक्र करता रहता हूँ

 और किसी की ना हो जाए तू

  डर के साए में हमेशा रहता हूँ

  तेरी चाहत है इतनी तुझे क्या बताऊँ ?
                    --●--

सलाम


              ● सलाम ● 

                          कवि मनोजकुमार साहु 


   घूमता है तेरा बेटा हाथ में लिए कफन 
   करता है शाम - ओ - सहर तेरा ही वंदन
   सच्चाई की राह पर चलने वालों को सलाम 
   तेरा बेटा किसानों को सलाम 
   तेरे लिए बलिदान को सदा हम तैयार 
   करते हैं तेरे कण-कण को सलाम
   मेरी माता पूज्य माता भारत माता सलाम 
   हर युग में जनम लेकर बार-बार 
   बनके गांधी सुभाष देंगे बलिदान 
   बॉर्डर पर खड़े जवान को सलाम
   खून देकर रखेंगे हम हमेशा तेरा मान 
   माता तुझे सलाम कोटि-कोटि सलाम 
   मेरी माता - पूज्य माता - 
   भारत माता सलाम
                          --●--

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

खुदा पर एतबार


                    ● खुदा पर एतबार ●

                          कवि : मनोज कुमार साहु


    मैं कल तक खुदा पर एतबार नहीं करता था 

    मैं भी कल तक नास्तिक ही था 

    जब देखा तुझे नाज़नीन 

    में भी तुझे पाने के लिए 

    खुदा की इबादत करने लगा

    कमल , पके अनार के दाने को

    कुदरत की देन समझता था 

    तेरे मासूम चेहरे को देखकर

    कुदरत भी खुदा की देन है यकीन हो गया 

    तेरी प्यारी सी आँखों को खूबसूरत

    खुदा ही बनाया है, यकीन हो गया

    जो था नास्तिक कल तक 

    आज इश्क मजाजी से इश्क हकीकी 

    और खुदा की शागिर्द बन गया

    तू इतनी हसीन है क्या बताऊँ

    तेरी मासूमियत खुदा की ही देन है

    जिसे खुदा पर ऐतबार नहीं था

    वह खुदा का इबादतगार बन गया

    मुझे खुदा पर एतबार हो गया 
                 --●--

सोमवार, 1 अप्रैल 2019

कटघरे में नेता जी

 

       कवि मनोजकुमार साहु 

     ● कटघरे में नेता जी ● 

   
     क्यों ना खड़ा करूं तुम्हें
     कटघरे में नेताजी ?
     जितने दंगे होते हैं देश में
     हिंदू मुसलमान नफरत
     तुम्हारे तो किए धरे हैं।
     वोट बचाना वोट जुटाना
     और चुनाव जीतना अनैतिक उपाय से
     फिर सत्ता पाना तुम्हारे खून में है तो
     क्यों ना खड़ा करूं तुम्हें
     कटघरे में नेताजी ?

     झूठे वादे झूठे आरोप का बसेरा
     है तुम्हारे दिमाग में।
     लोगों को डरा, बरगला कर
     वोट मांगना तुम्हारी आदत है।
     चुनाव आते ही रंग बदलना,
     जनता के आगे दुम हिलाना
     जीत जाने के बाद आँखें तरेरना ;
     हमेशा वादाखिलाफी के लिए
     क्यों ना खड़ा करूं तुम्हें
     कटघरे में नेताजी ?

     सत्ता में होते हो तुम तो
     विपक्ष जैसा बर्ताव
     विपक्ष में होते हो तो
     कुर्सी के लिए जनता का हमदर्द
     दंगाई - लूटेरा - बलात्कारियों को
     साथ लेकर क्यों घूमते हो नेताजी ?
     जिस पार्टी को कोसते थे दिन रात,
     आज उस दल में मलाई खाने
     खड़े हो तुम क्यों सबसे आगे ?
     नेता बनते ही साल भर में हजार रुपए तुम्हारे
     हो जाते हैं कई करोड़ कैसे ?
     जनता के टेक्स से मौज करते हो ।
     तो क्यों ना खड़ा करूं तुम्हें
     कटघरे में नेताजी ?

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...