हे गांधी-आजाद-सुभाष !
सुनो स्वतंत्रता सेनानियो !
भारत माता की पुकार।
तुम ने दिलाई थी,
सिर कटा कर आजादी।
देखो धधक रहा है पूरा देश,
सुलग रही हैं जनता।
जल रही हैं बस्तियाँ।
तालाब नदी दरिया में खून,
मंदिर मस्जिद गिरजाघर
सब तोड़ देने पर आमादा हुड़दंगी।
अमन का पैगम देने वाले
नफरत की कर रहे हैं खेती।
अमनपसंद ताक रहे हैं मुँह,
हर दिशा में तबाही।
नफ़रती-क्रुर बन गए हैं लोग
चारों तरफ भय...
दाने-दने को तरसते गरीब।
गांधी के राम भी,
बेबस हैं इन लोगों के हाथों।
वर्तमान अंधकार, भविष्य डरावना।
सुनो स्वतंत्रता सेनानियो !
भारत माता की पुकार।
©️ राजकुमार साहु
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