हौसला
कर हौसला बुलंद तो
चट्टान भी तेरे आगे झुकेगा
फौलाद - ए - दम भी
आदाब अर्ज़ आदाब अर्ज़ चीखेगा।
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मुकाम
तू कर ऐसा मुकाम हासिल
जहाँ से गुजरे काफिला बन जाए
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पहला प्यार
आज भी मुझे याद है
मेरा पहला प्यार
पहला ही आखरी है
जिंदगी का एक ही पन्ना है
एक ही दिल है
जिसमें तू ही अकेली है
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इल्म ए इंसानियत
जब से आई है जिंदगी में तू
इबादतगाह जाना बंद कर दिया
इल्म ए इंसानियत प्यार है
जो तूने सिखा दिया
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मैं तेरा हो गया
मेरी जिंदगी में था अंधियारा
कई नाज़नीनों का मैं हो चुका था
जब आवाज दे दी तूने
मैं तेरा ही हो गया
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फूल से मोहब्बत
मैं फूलों को पसंद किया करता था
हाथों से मसला करता था
जब हुआ मोहब्बत फूल से
तब डाली से दीदार करने लगा
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परिचय
खद को कर बुलंद इतना कि
दुनिया तुम्हारा परिचय दे
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