यह कृति एक काव्य है। इसमें जो सामग्रियां हैं वह सब इश्क हक़ीकी को दर्शाते हैं। इसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए किस हद तक मुहब्बत में डूबा है उसे बताया गया है। यहां प्रेम दैहिक न होकर ईश्वरीय है। प्रेम सर्वस्व है।
इस काव्य के मुख्य पृष्ठ में सूफी संत/ युवती/ बांह फैलाई हुई युवती आदि में से किसी एक का फोटो रहना चाहिए।
यह काव्य इश्क मिजाजी से इश्क हकीकी का बयां करता है। अर्थात प्रेम वासना नहीं इससे भगवान की ईश्वर की रब की प्राप्ति हो सकती है।
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