क्या यह सच है
शायद नहीं
तो कहाँ हो तुम
किसे पूछूँ
कहाँ रोऊं बिलख कर
जा रहा हूँ मुमताज महल
शायद उसमें तुम देखो
दिल के जख्मों पर
आँसुओं के मरहमों से
कुछ राहत मिले
या तुम मिलो।
संगमरमर की नूर में
जल रहा हूँ
ये नरगिस तुम मर गई
कब्र के पास जगह दे दो मुझे
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