चारों ओर नफ़रती अनगिनत
कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार
बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार।
राजनेता के चरण चुंबक बनकर
खुदको समझ बैठे हैं देशभक्त
सत्ताधारी के टुकड़े झपटने को उद्यत
चारों ओर अनगिनत चाटुकार।
अवसरवादी - डरपोक - निर्लज्ज औ हुड़दंगी
समझ रहे हैं अपने को धर्म रक्षक
साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार, शिल्पकार
हुनर छोड़ शौक से बन गये हैं चाटुकार ।
संविधान, सुप्रीम कोर्ट,जज, आम इंसान
बन रहे हैं इनका शिकार।
वाह रे चाटुकार।
जो सच बोले, जो सवाल पूछे
चाहे वो हो राजनेता या आम इंसान
वो अंधभक्तों के लिए
देशद्रोही गद्दार ।
गांधी, बुद्ध, बाबा साहब, फुले, परियार
को गाली बकना
हजरत मोहम्मद के बच्चों को सताना।
और और और
फिर देश प्रेमी बनना
वाह रे गिरगिट नफरती !
वाह रे चाटुकार! ।
तुम निर्बोध हो निर्लज हो
विवेक शून्य हो
फिर भी समझा रहा हूं
सुनो चाटुकार, नफरती, बेईमान
तुम्हारी बेईमानी
नहीं भूलेगी हिंदुस्तान।
©️ मनोज कुमार