न वो नर न नारी न क्लीव होता है
चापलूस हमेशा चापलूस होता है
न होती उसमें शर्म
न होता है दम
हमेशा पूंछ हिलाने के लिए
तैयार रहता है।
चापलूस चापलूस होता है
न वो राजा न मंत्री न सेनापति होता है
चापलूस हमेशा चापलूस होता है
न होता उसमें शौर्य
न होता है धैर्य
हमेशा रेंगने के लिए तैयार रहता है।
चापलूस चापलूस होता है
उसमें होती है मक्कारी
डर, घृणा अंधेपन से
हमेशा होता है ग्रसित
जीभ में हो जाता है रोग
तलवे चाटने से मिलता है उपशम
फिर उसकी आंखें
हमेशा हमेशा के लिए फूट जातीं हैं।
वह तलवे चाटने को
तक़दीर समझता है।
चापलूसों को मौसेरा भाई मानता है।
सच बोलने वालों से चिढ़ता है
फिर चापलूसी की बीमारी
उसकी कई पीढ़ी को फैल जाती है
आवारा कुत्तों जैसा उसके साथ
दुनिया सलूक करती है।
चमचागिरी करने को चापलूस
अहोभाग्य समझता है।
चापलूस हमेशा चापलूस रहता है।
चापलूस चापलूस होता है।
©️ मनोज कुमार साहु
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