©️ मनोज कुमार साहु
तेरी फुरक़त में नशा है
पाने की
चाहने की
तड़प की
यादों की
आंसू और सिसक की
तू कितनी ख़ास है !
फुरक़त में भी
शिद्दत इश्क औ दर्द
मेरे लिए
बराबर है।
नफरती चाटुकार चारों ओर नफ़रती अनगिनत कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें