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सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

संभाल न पाया

तुम आई थी हथेलियों में मेरी
संभल न मैंने तुमको पाया
कहते हैं ऐसा दुनिया वाले
संभल न मैंने तुमको पाया
क्या कहते हैं कहने वाले
सुनना मैंने छोड़ दिया
चुभती नहीं मुझे कड़वी बातें
अफ़सोस बहुत खुद पर मेरे
संभल न मैंने उसको पाया
बताना पड़ेगा सबको जरूर
वो कुदरत की रहमत
जन्नत_बिटिया थी मेरी

😭©️ तुम्हारे पापा ( मनोज )

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