चिट्ठी की महक
मेरा कमरा महक रहा है
कभी गुलाब कभी चंपा
चंदन चंदन खुशबू से
मेरा बिछौना महक रहा है।
चिट्ठियों के हर अक्षर से
मेरा दिल महक रहा है
तेरा गुस्सा तेरा प्यार
चुंबन चुंबन के एहसास को
तेरी चिट्ठियां बयान कर रही हैं।
सबसे निराली है,
चिट्ठियों की महक
©️ मनोज कुमार
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