कवि मनोजकुमार साहु की पंक्तियाँ
1
इरादे नेक हो,
हौसला बुलंद हो,
तूफान में भी दम कहाँ;
रोकने की उड़ान को।
2
जहर और घमंड दोनों समानार्थी हैं
दोनों मनुष्य को
दीमक जैसा चाट जाते हैं।
3
शहद के लिए मधुमक्खी का डंक
गुलाब के लिए कांटे का दंश
झेलना पड़ता है।
अच्छे इंसानों के लिए
सारी जिंदगी कम पड़ जाती है।
4
कल थे तुम मेरे साथ तो
रात भर जागकर
और आज नहीं हो मेरे पास तो
रात भर जाग कर
कट रही है ।
5
इरादा अगर चट्टान की तरह मजबूत हो
तो लोहे का सीना चीरने में देर नहीं लगती।
6
किसी इंसान के साथ खेल सकते हो
यहाँ तक ठीक है
लेकिन उसके जज्बातों से खिलवाड़ करना कायरता है।
7
विश्वास सबसे बड़ी जमानत होती है
विश्वास डिग जाए तो
एक बूंद पानी तक नसीब नहीं होता है।
8
दौलतमंद बनाना कोई बड़ी बात नहीं
अगर दर्द ना हो जरूरतमंदों के लिए।
9
करो दोस्ती अपने से कम हैसियत से
दुश्मनी ऊंची हैसियत से
तब जानो खुद दमदार हो।
10
हिम्मत ही असली ताकत
और विद्या ही असली डिग्री है।
11
मुखौटा सिर्फ इंसान पहनता है
और इंसान के लिए भी बनाया जाता है
जानवर कभी नहीं पहनते।
12
अरे खुदगर्ज !
तुम भी वही साँप के बिल में रहकर
जहरीले बन जाओगे
मत इतराओ
तुम तो काकोदर बन जाओगे।
13
कुछ कुर्सी हथिआए हैं
कुछ हथियाने के चक्कर में हैं
गणतंत्र को मजाक
और जनता को मदारी का बंदर
समझने की ग़लती कर बैठे हैं।
14
जो शासक की गलतियों को शासक के सामने कहने का साहस रखता है वह कवि होता है।
15
तुम तो नज़र फिरा लोगे, लेकिन
उस दिल का क्या जो मेरे पास है।
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