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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

Priyamanasam 22

                   कवि मनोज कुमार साहु

            ● प्रियतमा 22 ●

        घनेरी घनेरी जुल्फों तले
        उर पर आशिक सो गया
        मृदुल कोमल स्पर्श मात्र से
        चट्टान का मुंह खोला
        क्या बतलाऊं शब्द से उसे ?
        पत्थर मोम सा पिघला
        बंध गए दोनों अभेद्य बंधन में
        फूट फूट कर रो पड़ी प्रियतमा ।22।

           ● प्रियतमा ( 23 ) ●

        एक एक आँसू 
        मोती बन गए
        समेटता मैं उसे गया
        जितने बच गए
        दामन में बाँधा
        एक भी गिरने न दिया 
        आँसू के मोती सजाया दिल में 
        देख मुस्कुरा दी अल्हड़ प्रियतमा ।23।

             ● प्रियतमा 24 ●

        अपलक नयन से आशिक
        बुलाता रहा अपने आशियाना
        बाहों में आकर उसने
        खोल दी योवन का खजाना
        लूट लो सब कुछ मेरा
        सामने सब कुछ पाकर 
        क्या लूट करता प्रितम ?
        पहले से संपूर्ण समर्पित प्रियतमा ।33।
                           ●

सोमवार, 25 मार्च 2019

दकियानूसी सोच

              ●  दकियानूसी सोच ●
 

            कवि मनोजकुमार साहु 


 तुम गरीब हो तो टपोरी हो
 तुम गरीब हो तो मूर्ख हो
 तुम गरीब हो तो बेईमान हो
 तुम गरीब हो तो अज्ञानी हो
 तुम गरीब हो तो विश्वास के लायक नहीं हो
 तुम गरीब हो तो भरोसेमंद भी नहीं हो
 तुम गरीब हो तो चोर भी हो सकते हो
 तुम गरीब हो तो हंसी का पात्र हो
 तुम गरीब हो तो तुम में -
 विचार नाम की कोई चीज ही नहीं है
 तुम गरीब हो तो तुम्हें कोई पूछता भी नहीं
 तुम गरीब हो तो
 हंसी ठिठोली का पात्र भी हो
 तुम गरीब हो तो
 सुनहरे सपने भी नहीं देख सकते
 तुम गरीब हो तो
 अधिकार भी नहीं है समाज में
 ऐसा सोचते हैं कुछ दकियानूसी लोग




पसंद ह

● मुझे पसंद है ●


           कवि मनोजकुमार साहु 


  तेरे पैरों की लालिमा ,
  मात देती है पलाश की पंखुड़ियों को।
  तेरे होंठ को ,
  गुलाब के पंखुड़ियां तो नहीं कहूंगा
  लेकिन वह मात देते हैं गुलाबी गुलाल को।
  तेरी आँखे इतनी खूबसूरत है
  इसीलिए लग न जाए नजर किसी की
  काजल से उसे रंग दे।
  तेरी बिखरी बिखरी जुल्फों को
  पड़े रहने दे बेदर्दी से
  उसे मत सँवारना
  नशा ए शराब को भी मात देती हैं।
  ऐसे तू ठीक है - मुझे पसंद है।

सोमवार, 18 मार्च 2019

सोच समझ कर डालना बोट

      

                  कवि मनोज कुमार साहु


 सोच समझ कर डालना वोट
 नेता आएंगे जाएंगे,
 आते थे चले भी गए
 उनकी गुलामी करना छोड़ दो।
 सिर्फ नारा नहीं चाहिए हमें
 सन 47 से कितने नेता
 नारा थमा कर चले गए।
 लेकिन मुद्दा गरम है
 चुनावों में आज तक -
 कहते हैं राजनीति में,
 हर नेता को सिर्फ कुर्सी से मतलब है।
 मतलब परस्त नेता को वोट ना दो
 वादे पूरे नहीं हुए तो,
 उन्हें कभी वोट मत दो
 यही गुजारिश है।
 धोखा खाकर दोबारा ना डालना वोट
 करके यकीन उन पर
 पैसा दारू के बदले ना डालना वोट।
 वोट से मुंह मोड़ना भी देश हित में नहीं
 वादा जो पूरा करेगा
 डाल दो तुम उसको वोट
 सोच समझ कर डालना वोट।

गुरुवार, 14 मार्च 2019

Priyatama ( 19 )


              कवि : मनोज कुमार साहु 

                                    ओड़िशा


               प्रियतमा ( 19 )


     खींच ली माशूक के हाथ
     चूम - चूम के रखी उर पर
     पूर्ण हुआ शून्यता
     आंखें हुई बंद
     था दिल में बहूमान
     डर सिहरन प्रेम पुलक
     समर्पण भाव से अपने को समर्पित कर
     मोम की मूर्ति बन बैठे प्रियतमा ।


                 प्रियतमा ( 20 )


     कठोर कर - कोमल हृदय का मिलन
     धक - धक धड़कते रहे दो दिल
     जैसे मिलन नदी और समंदर का
     संयोग सुमन शबनम का
     परस्पर परस्पर उतावले बनने को
     प्यासे होंठ, भरा हुआ प्याला
     हाथ प्रियतम के
     जकड़ी धरती प्रियतमा

            प्रियतमा ( 21 )


    प्रियतम कैसे कर पाता दूर
    महसूस करा प्रिया की धड़कन
    जैसे हथेली के कान निकल आए
    और सुनता रहा मधुर से मधुर
    संगीत झंकार, व्यथा - उल्लास - पीड़ा
    प्रियतम का धर्य बाँध टूटा
    एक छलांग से कूदान मार
    बाहों में आ गई प्रियतमा
                   -●-

रविवार, 10 मार्च 2019

मनोज के अनमोल वचन

   

            कवि : मनोज कुमार साहु

                               ओड़िशा 

 - गलतफहमी -


  गलतफहमी एक ऐसी बीमारी है
  जिसका इलाज नहीं होता
  गलतफहमी के मकड़जाल में
  शैतान का बच्चा घर कर लेता है
               •••

 - इल्जाम -


  इल्जाम सहना ,
  सर पर भारी पहाड़ उठाना जैसा है।
  और गलत इल्जाम लग गया तो,
  जीना दूभर हो जाता है ।
                •••

 - लालच -


  लालच बुरी बला है , जग ऐसा कहे
  मन काबू में है तो , लालच पास ना आए
                 •••

   - प्यार -


   प्यार सुख की चाबी है
   और हर रोग की दवा
   यह दुनिया तुच्छ है
   सच्चे प्यार के सिवा
            •••

  - फितरत से मजबूर -


   पोथी पढ़ - पढ़ रावण बना
   ढाई अक्षर पढ़ कर कबीरा
   चाकू हाथ में ले डाकू डाले डाका
   जान बचाए डॉक्टर लगाकर चाकू से चीरा
                    •••

   - सीख -


   जंग और मोहब्बत
   उँची शख्सियत से करो
   हार जाने पर भी
   अच्छी सीख मिलती है
              •••

  - खुद्दारी-


  अल्फाजों को जाया मत होने देना
  अपने को बेईमान होने मत देना
  चाहे कितने भी कमजोरी आ जाए खुद में
  अपनी खुद्दारी कभी मत छोड़ना
                 •••

   - शब्द-


  शब्दों से संसार गड़ता हूँ
  शब्द ही अमोघ अस्त्र हैं
  खुशी को गम और गम को खुशी में ,
  बदलने की काबिलियत रखता हूँ ।
                •••


Shayari of Manoj kumar Sahoo

     

        ● शायरी मनोजकुमार साहु की



   ( दर्द )


  दर्द वह नहीं है
  जिससे तुम तड़पते हो
  दर्द वह है
  जिसे सोचने भर से तुम कराहते हो

                  --●--


  ( भूख )


  भूख का मतलब क्या जानोगे तुम अमीरो
  भूख का मतलब उस माँ से पूछो
  जो अपनी कोख में लिए संतान को
  जी तोड़ मेहनत मजदूरी करती है

                 --●--


  ( आँखें )


 तू  लाख इंकार कर पहचानने से
 लेकिन तेरी नादान मासूम आँखें
 कभी भूल नहीं सकती हमें
 आज भी मोहब्बत करती तेरी आँखें हमें

                   --●--


  ( नज़र )


 जब लौटता हूँ
 मैखाने से जाम पीकर
 सब भूल जाता हूँ
 सिवाय तेरी तिरछी नज़र

       --●--


 ( आशिक )


हम भी मशहूर आशिक हैं
लेकिन नहीं हैं किस्से हमारे
लोगों के जवान पर
सारा इल्जाम लगाता हूँ ज़माने पर

               --●--


  ( मशहूर )


 हीर - रांझा, श्री - फरियाद मशहूर हुए
 हम तुम मशहूर हुए नहीं
 क्योंकि मोहब्बत पर इल्जाम,
 या सरकार का कोई पहरा नहीं

               --●--


    ( मरहम - मर हम )


   दिल के टुकड़े टुकड़े करके
  'मरहम' लगाने आए हो
   जिंदा हैं या 'मर हम' गए
   यह देखने, बहाना करके आए हो
               --●--

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     🙏💞

    धन्यवाद पाठको !


शुक्रवार, 8 मार्च 2019

शायरी मनोज कुमार साहु की



        शायर : मनोज कुमार साहु


  ( ज़हर )


 ज़हर वह नहीं है
 जिसे पीकर खुदकुशी की जाती है
 बेशक ज़हर वह है
 जिससे दिल मर जाता है


 ( आईना )


 सुना है आईना कभी झूठ नहीं बोलता
 लाख शुक्रिया खुदा की
 क्योंकि आँखों की पुतलियों में
 खुदा तूने आईना दे दिया

  ( होंठ )


  होंठ इतने खूबसूरत क्यों हैं पता है ?
  माशूक़ को रिझाने के लिए ?
  हरगिज़ नहीं
  मीठे लब्ज बोलने के लिए ।






गुरुवार, 7 मार्च 2019

शायर : मनोज कुमार साहु

   

      शायर  : मनोज कुमार साहु

  ( बेवफ़ाई )


      बेवफाई तो इस कदर है
      सोचे थे -
 गुजारेंगे ताउम्र जिसके साथ
 उसे तो बेवफाई की बीमारी है
             --●--

   ( भँवरे माशूक़ )


 रे भँवरे माशूक !
                तुझे क्या पता ?
 हम वह नगीना हैं -
               जिसे सिर्फ जोहरी  पहचान सकता है ।
                       --●--

    ( मोहब्बत )


 मोहब्बत वह चीज है
 उसका कोई मोल नहीं है
 मोहब्बत की खरीद फरोख्त करने वाले
 इंसान कहने लायक नहीं है ।

               --●--

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...