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शनिवार, 25 नवंबर 2023

याद रखना

तू याद रखना हमेशा
ये बात नाज़नीन
मैं क़यामत में भी
तेरा हाथ नहीं छोड़ूंगा
संभाली थी तू मुझे
जब ज़माने ने ठुकरा दिया था
तू याद रखना हमेशा
ये बात नाज़नीन
जब तक जान है
मैं तेरा साथ नहीं छोडूंगा
खुद को जलाकर तू मुझे
रौशन जो किया था
मेरी धड़कन चलती है
तेरे नाम पर
तू ये बात याद रखना।

©️ मनोज कुमार साहु 



छिपाता हूं

मैं तेरे नाम को
मेरे नाम से छिपाता हूं
दुनिया से डर कर नहीं
दुनिया वाले मुझे डरा दें
ऐसा हिम्मत किसी में है ?
मुझे नहीं दिखता
बात बस इतनी है-
कि मैं तुझे खोने से डरता हूं
मैं तेरे नाम को
मेरे नाम से छिपाता हूं।
क्योंकि तू बदनाम ना हो जाए
मुझसे बिछड़ न जाए
इसी बात से डरता हूं।

©️ मनोज कुमार साहु 

मंजिल ए जंग

मंजिल ए जंग में
मोहब्बत ए दरिया में
जो हमें रोकेगा
वो कोई भी हो
वो कोई भी हो
वो कोई भी हो
खून के दरिया में
मैं उसे तैराऊंगा
उसमें कितना फौलाद बाकी है
  टकरा टकरा कर देखूंगा
शर्त बस इतना है
तेरा हाथ मेरे हाथ में होगा।

©️ मनोज कुमार साहु 

याद

जब करता हूं याद तुझे
मेरे आंसू
अपने आप गिरने लगते हैं
मैं तुझे हर लम्हा याद करता हूं
तू बता
मेरी आंखों का हाल क्या होता होगा

©️ मनोज कुमार साहु 

दिल से मोहब्बत


तुम मेरे लिए इतना खास हो
मैं तुम्हें दिल से मोहब्बत करता हूं

तुम मुझे प्यार करते हो
आज मुझे यकीन हुआ

तुम मेरे छोटी-छोटी खबर रख रहे हो
यह पता चला
मैं तुम्हें बहुत प्यार
इसीलिए करता हूं
तुम मेरे लिए इतना खास हो।

©️ मनोज कुमार साहु 

मेरे जज़्बात

   

  मेरे जज़्बात

तू होती नहीं मेरे पास
तुझे ढेरों बातें जो करनी है
मेरे दिल के मोहब्बत को
शायरी में बयां करता हूं
तू समझ सके मुझे इसीलिए
मेरे जज्बातों को
कागज पर उकेरता हूं।

©️ मनोज कुमार साहु

     मुहब्बत के दुश्मन

किसी की बातों में आकर
मुझसे दूर मत होना
जान इस दुनिया में
हम दोनों के दुश्मन बहुत हैं।

 ©️ मनोज कुमार साहु

     सिर्फ तू है

फूल में खुशबू
चांद में चांदनी
शहर में मिठास है
मेरी सांसों में
मेरी यादों में
जान सिर्फ तू ही है।

 ©️ मनोज कुमार साहु 

मुहब्बत की शायरी

 
    मुहब्बत में डर

मुझे किसी का डर नहीं
सजा से भला कौन डरता है
डर तो बस तेरी बाली उमर का है तेरे बिछड़ जाने का है।

  ©️ मनोज कुमार साहु

     मुहब्बत का पैगाम

तेरे लिए लिखता हूं हर रोज मोहब्बत के कई पैगाम
तू तो मिलती नहीं
जब भी मिलती है
तुझे देख कर सब भूल जाता हूं फिर मिलने के आस से
लिखने लगता हूं नए पैगाम।

©️ मनोज कुमार साहु 

अजनबी चेहरा

    अजनबी चेहरा

कभी थे तुम मेरे
मगर तुम्हारा चेहरा
अब भूलने लगा हूं
कभी था मैं तुम्हारा
अब अजनबी बन गया हूं
शायद न थी मुहब्बत
बीच हमारे
अब जानने लगा हूं।

©️ मनोज कुमार साहु

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

नायाब इश्क

तू इतनी नाजुक नायाब
कच्ची उम्र की है
चाहता तो हूं जकड़ लूं सीने में
मेरे दामन में जो सिलवटें हैं
डरता हूं सिलवटों के दाग कहीं
न लग जाए तुझ में।

  ©️ मनोज कुमार साहु

    इबादत 
तेरी आंखें, तेरे होंठ, तेरी उंगलियों को
छू लेना चाहता हूं मैं
क्या करूं तेरी उम्र
मोहब्बत करने की हुई नहीं
इसीलिए खुद की तरह
तेरी इबादत करता हूं मैं।

  ©️ मनोज कुमार साहु 

आशिकी

मेरी कमसिन कली
नादान तू बहुत है
मैं तो था शिकारी
तेरी मासूमियत औ
पाक मोहब्बत ने
भर दिया मुझ में आशिक़ी।

    रूह की मोहब्बत 

तुम्हारी और मेरी मोहब्बत
रूहानी है जिस्मानी नहीं
जो जिस के भूखे हैं
वह क्या जाने रूह की मोहब्बत को
उसमें डूब जाने में कितना सुकून है


    लाचार मोहब्बत 

बंदिशें बहुत हैं हमारी मोहब्बत में
दिल चाहता है भर लूं तुझे
जमाने के सामने अपने बाहों में
हमेशा हमेशा के लिए
लेकिन क्या करें 
दोनों लाचार हैं जमाने के आगे।

©️ मनोज कुमार साहु

    बाली उमर 

तू मेरी मोहब्बत है आरजू अरमा है
न जाने क्या-क्या है
मैं जतलाता हूं मोहब्बत तुझसे
छिपते छुपाते जमाने से
कुसूर तेरी नहीं 
तेरी बाली उमर की है।

©️ मनोज कुमार साहु 

नसीब

मेरे नसीब को मैं जानता हूं
तू नहीं मिलेगी मैं जानता हूं
फिर भी करता हूं मोहब्बत बहुत तुझसे
तेरे लिए नसीब को बदलना चाहता हूं।

 ©️ मनोज कुमार साहु

       तोहफा 

मेरी जिंदगी का आखरी तोहफा हो तुम
बेशकीमती भी हो
तुम्हारे सिवा मुझे कुछ भी नहीं चाहिए
सिर्फ तुम चाहिए।


     जज़्बात 

तू होती नहीं मेरे पास
तुझसे ढेरों बातें जो करनी है
मेरे दिल के मोहब्बत को
शायरी में बयां करता हूं
तू समझ सके मुझे इसीलिए
मेरे जज्बातों को
कागज पर उकेरता हूं।

    ©️ मनोज कुमार साहु

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...