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शनिवार, 25 नवंबर 2023

मुहब्बत की शायरी

 
    मुहब्बत में डर

मुझे किसी का डर नहीं
सजा से भला कौन डरता है
डर तो बस तेरी बाली उमर का है तेरे बिछड़ जाने का है।

  ©️ मनोज कुमार साहु

     मुहब्बत का पैगाम

तेरे लिए लिखता हूं हर रोज मोहब्बत के कई पैगाम
तू तो मिलती नहीं
जब भी मिलती है
तुझे देख कर सब भूल जाता हूं फिर मिलने के आस से
लिखने लगता हूं नए पैगाम।

©️ मनोज कुमार साहु 

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