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सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

प्यार करो

         प्यार करो

प्यार इतना करो 
दुनिया देखती रह जाए 
इतना गहरा करो कि
समंदर की गहराई भी कम पड़ जाए
इतना शिद्दत से करो कि
प्यार के दुश्मन हार मान जाएँ

प्यार शाश्वत है, अनिर्वचनीय है
निराकार है, नश्वर पवित्र है।
प्यार इतना करो कि
इबादतगाह जाना भूल जाओ
प्यार इतना करो कि 
पागल मस्तमौला बन जाओ
किसीको जिंदगी भर इंतजार कर सको


 ©️ मनोज कुमार साहू 

चिट्ठी की महक

         चिट्ठी की महक

तेरी चिट्ठियों से
मेरा कमरा महक रहा है
कभी गुलाब कभी चंपा
चंदन चंदन खुशबू से
मेरा बिछौना महक रहा है।

चिट्ठियों के हर अक्षर से
मेरा दिल महक रहा है
तेरा गुस्सा तेरा प्यार
चुंबन चुंबन के एहसास को
तेरी चिट्ठियां बयान कर रही हैं।
सबसे निराली है,
चिट्ठियों की महक

  ©️ मनोज कुमार 


चाहत

                चाहत

जब मैं मर जाऊंगा तड़प तड़प कर
तेरी बेवफ़ाई में
तब तुम जरुर आना
मेरी मैयत में
क्योंकि मेरी आंखें रहेंगी जिंदा
तुझे देखने के लिए।

शायद मुझे कुछ सुकून मिल जाएगी 
मौत के बाद
बेवफ़ाई को भूल नहीं पाया 
जिंदगी भर 
शायद कुछ सुकून मिल जाएगी 
तुझे देखने के बाद।

       ©️ मनोज कुमार साहू 

संभाल न पाया

तुम आई थी हथेलियों में मेरी
संभल न मैंने तुमको पाया
कहते हैं ऐसा दुनिया वाले
संभल न मैंने तुमको पाया
क्या कहते हैं कहने वाले
सुनना मैंने छोड़ दिया
चुभती नहीं मुझे कड़वी बातें
अफ़सोस बहुत खुद पर मेरे
संभल न मैंने उसको पाया
बताना पड़ेगा सबको जरूर
वो कुदरत की रहमत
जन्नत_बिटिया थी मेरी

😭©️ तुम्हारे पापा ( मनोज )

मजदूर

                मजदूर

    ©️ मनोज कुमार

मजदूर
मजबूत होता है मजबूर नहीं।

बहाता पसीना उगाता सोना
सबका पेट भरता है
मेहनत की रोटी खाता है 
मजदूर
मजबूत होता है मजबूर नहीं


  मजदूर
मजबूत होता है मजबूर नहीं
तोड़ता है पहाड़, बनाता है महल
झोंपड़ी में रह कर
महल बनाता है
मजदूर
मजबूत होता है मजबूर नहीं।

      

चापलूस

चापलूस चापलूस होता है
न वो नर न नारी न क्लीव होता है
चापलूस हमेशा चापलूस होता है
न होती उसमें शर्म 
न होता है दम
हमेशा पूंछ हिलाने के लिए
तैयार रहता है।

चापलूस चापलूस होता है
न वो राजा न मंत्री न सेनापति होता है
चापलूस हमेशा चापलूस होता है
न होता उसमें शौर्य
न होता है धैर्य
हमेशा रेंगने के लिए तैयार रहता है।

चापलूस चापलूस होता है
उसमें होती है मक्कारी
डर, घृणा अंधेपन से
हमेशा होता है ग्रसित
जीभ में हो जाता है रोग
तलवे चाटने से मिलता है उपशम
फिर उसकी आंखें
हमेशा हमेशा के लिए फूट जातीं हैं।
वह तलवे चाटने को
तक़दीर समझता है।
चापलूसों को मौसेरा भाई मानता है।
सच बोलने वालों से चिढ़ता है
फिर चापलूसी की बीमारी
उसकी कई पीढ़ी को फैल जाती है
आवारा कुत्तों जैसा उसके साथ
दुनिया सलूक करती है।
चमचागिरी करने को चापलूस
अहोभाग्य समझता है।
चापलूस हमेशा चापलूस रहता है।
चापलूस चापलूस होता है।

©️ मनोज कुमार साहु 




Poem of Manoj Kumar sahoo

 

कवि मनोजकुमार साहु की पंक्तियाँ 


  

           1

 इरादे नेक हो,
 हौसला बुलंद हो,
 तूफान में भी दम कहाँ;
 रोकने की उड़ान को।

           2

 जहर और घमंड दोनों समानार्थी हैं
 दोनों मनुष्य को
 दीमक जैसा चाट जाते हैं।

           3

 शहद के लिए मधुमक्खी का डंक
 गुलाब के लिए कांटे का दंश
 झेलना पड़ता है।
 अच्छे इंसानों के लिए
 सारी जिंदगी कम पड़ जाती है।

            4

 कल थे तुम मेरे साथ तो
 रात भर जागकर
 और आज नहीं हो मेरे पास तो
 रात भर जाग कर
 कट रही है ।

             5

 इरादा अगर चट्टान की तरह मजबूत हो
 तो लोहे का सीना चीरने में देर नहीं लगती।

             6

 किसी इंसान के साथ खेल सकते हो
 यहाँ तक ठीक है
 लेकिन उसके जज्बातों से खिलवाड़ करना   कायरता है।

             7

 विश्वास सबसे बड़ी जमानत होती है
 विश्वास डिग जाए तो
 एक बूंद पानी तक नसीब नहीं होता है।

             8

 दौलतमंद बनाना कोई बड़ी बात नहीं
 अगर दर्द ना हो जरूरतमंदों के लिए।

             9

  करो दोस्ती अपने से कम हैसियत से
  दुश्मनी ऊंची हैसियत से
  तब जानो खुद दमदार हो।

             10

  हिम्मत ही असली ताकत
  और विद्या ही असली डिग्री है।

             11

 मुखौटा सिर्फ इंसान पहनता है
 और इंसान के लिए भी बनाया जाता है
 जानवर कभी नहीं पहनते।

             12

 अरे खुदगर्ज ! 
 तुम भी वही साँप के बिल में रहकर
 जहरीले बन जाओगे
 मत इतराओ
 तुम तो काकोदर बन जाओगे।

           13

 कुछ कुर्सी हथिआए हैं
 कुछ हथियाने के चक्कर में हैं
 गणतंत्र को मजाक
 और जनता को मदारी का बंदर
 समझने की ग़लती कर बैठे हैं।

            14

जो शासक की गलतियों को शासक के सामने कहने का साहस रखता है वह कवि होता है।

           15

तुम तो नज़र फिरा लोगे, लेकिन 
उस दिल का क्या जो मेरे पास है।

फुरक़त

फुरक़त

©️ मनोज कुमार साहु

तेरी फुरक़त में नशा है 
पाने की 
चाहने की
तड़प की
यादों की
आंसू और सिसक की 

तू कितनी ख़ास है !
फुरक़त में भी
शिद्दत इश्क औ दर्द 
मेरे लिए 
बराबर है।

नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...