शनिवार, 20 अक्टूबर 2018
शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018
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दीपावली
कवि मनोज कुमार साहु
आज प्रकाश का त्यौहार है ?
लेकिन प्रकाश कहाँ है ?
कल आज सदियों से
गरीब के घर में अंधेरा है
दशकों पहले हामिद ने
बिना जूतों के सिर पर पुरानी टोपी,
देह पर मैले फटे कुर्ता पहने
दिल के अरमान मारे
क्या ईद मनाया था ?
आज भी हर गांव में
शहर किनारे बसी झुग्गियों में
हामिद जैसे कितने बच्चे
रोटी से दूर हैं ।
आज प्रकाश का त्यौहार है ?
लेकिन प्रकाश कहाँ है ?
त्रेता युग में एक रावण था
एक कुंभकरण भी
आज का स्वयंभू राम
रावण से भी भयंकर है !
रावण सहस्त्र फनधारी तक्षक है
आज प्रकाश का त्यौहार है ?
कवि मनोज कुमार साहु
आज प्रकाश का त्यौहार है ?
लेकिन प्रकाश कहाँ है ?
कल आज सदियों से
गरीब के घर में अंधेरा है
दशकों पहले हामिद ने
बिना जूतों के सिर पर पुरानी टोपी,
देह पर मैले फटे कुर्ता पहने
दिल के अरमान मारे
क्या ईद मनाया था ?
आज भी हर गांव में
शहर किनारे बसी झुग्गियों में
हामिद जैसे कितने बच्चे
रोटी से दूर हैं ।
आज प्रकाश का त्यौहार है ?
लेकिन प्रकाश कहाँ है ?
त्रेता युग में एक रावण था
एक कुंभकरण भी
आज का स्वयंभू राम
रावण से भी भयंकर है !
रावण सहस्त्र फनधारी तक्षक है
आज प्रकाश का त्यौहार है ?
गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018
अंतिम जय सत्य की होती है CLICK HERE
अंतिम जय सत्य की होती है
कवि : मनोजकुमार साहु
Mobile no 9040981373
मन की गहराई में,
एक प्रश्न क्षण क्षण आता है।
क्या सत्य की जय होती है ?
बार बार मेरे सामने असत्य जब
सत्य को नोच कुरेद कर ठहाके मारता है।
तब टूटा दिल और सत्य की ध्वजा लेकर,
थक जाने के लिए मन डरता है।
मन की गहराई में,
सत्य असत्य का शब्द युग्म उफान लता है।
कैसे झेलेगा सत्य असत्य को ?
फिर सोचते ही गांधी विनोबा को,
शत सिंह का बल आ जाता है।
डटकर खड़ा होता हूँ, सत्य के साथ।
असत्य सत्य की छाती पर जब
गर्व से तांडव करता है,
टूट कर बिखर जाने को मन घबराता है।
मन की गहराई में,
जब पीड़ा टीस मार कर उठती है,
सीता और द्रौपदी बैशाखी बनती हैं,
भगत सिंह और गांधी दंभ।
उनके सामने मैं क्या खोया हूँ ?
क्यों हारू, क्यों टूटूँ, क्यों थकूँ ?
सोना जल जलकर कुंदन बनता है।
मरते दम तक लड़ना होगा,
प्रभु यीशु मुझे समझा देते
अंतिम जय सत्य की होती है।।
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•••• तड़प ••••
कवि : मनोजकुमार साहु
दान - खैरात - चढ़ावा
लेता है क्या भगवान ?
शायद घूसखोर उसे
समझ बैठे हो
इसीलिए काम देख कर
दाम तय करते हो ।
गली - मुहल्ले - शहरों में
दाने दाने को तरसते
फटे मैले चिथड़न लपेटे
भूख को तकदीर समझ कर
तंग गलियों में रहने वालों को
कभी अपना समझ कर देखा है ?
मासूम - मासूम नादान चेहरे
हड्डियों के ढाँचे
प्यासी पथराई आँखें
जब हाहाकार मचाते
दान - खैरात - चढ़ावा
ईश्वर खरीदने निकले !
तुम्हें क्या पता ?
दीन जनों में ही ईश्वर बसते
अरे पागलो !
खुद प्यासा बनके
एक बूँद पानी से
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क्या - क्या रखा होगा रब ने ?
कवि : मनोज कुमार साहु
सच ही बता दूँ !
क्यों लोग दीवाने बनते हैं ?
बनना जायज है
क्योंकि तेरी पुतलियों में
इतनी नशा है तो ,
तेरी आंखों में,
पलकों में,
बरौनी में
और तेरी आंखों की काजल में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
मन जैसी चंचलता
जब थिरकतीं पुतलियाँ
क्या बताऊं ?
मदहोश बनता है दिल
बेचैन हो उठता है मन
देखता हूं तुझको
पुतलियों के आईने में
तेरी पुतलियों में अगर हूं ,
आंखों की झील सी गहराइयों में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
आँखों के पैमाने में
इतनी शराब है तो !
क्या बताऊं
क्या बताऊँ, पलकों की ?
जो गिरतीं हैं ,
चुभती हैं
दिल में शर बन के
उस टीस में इतनी मिठास है तो
मृदुल बरौनी में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
जादुई बरौनी से सहला कर
जब कर देती तू घायल
क्या बताऊं काजल की ?
उस में डूबा दे डूबा दे
और मुझसे रहा नहीं जाता,
सहा नहीं जाता
देख लूँ तिलिस्मी अंजन में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
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नेता

कवि : मनोजकुमार साहु
• नेता •
सड़क से संसद तक अनगिनत नेतानाम बदलकर कर देना चाहिए 'लेता '
क्योंकि जनता को लूट लूट कर ;
इनका जी नहीं कभी भरता ।
कौन सच्चा कौन झूठा ?
समझ नहीं पाती जनता
जांच परख के मालूम पड़ा,
एक मगरमच्छ - दूसरा चीता ।
देश चाहे खड्डे में गिरे -
पिसती रही जनता ।
सेवा तो खाली खोखला वायदा
वोट से झोला कैसे भरेगा ?
बस रह गई एक चिंता ।
एक - दूसरे पर कीचड़ उछाल के
खुद बनते हो सुथरा ,
सुबह से सुबह तक
बैंक खाते के अंक बढ़ाने में बीतता ।
देशवासी पीसें महंगाई चक्की
उनका तो कुछ नहीं जाता,
एक दो को छोड़कर
ऐसे हैं आजकल के नेता ।।
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शान - ए - हिंद " सुभाष "

कवि : मनोजकुमार साहु
Mobile 9040981373
शान - ए - हिंदी सुभाष
तुझे कोटि कोटि नमन ।
आजाद हिंद योद्धा
कोटि-कोटि नमन ।
किस शब्दों से वंदना करूं
शब्द पड़ जाए कम
मशाल - ए - क्रांति
तुझे कोटि कोटि नमन ।
कतरा - कतरा खून से
धरती किया पावन
शहादत भी हार गया
तुझसे जानकीनाथ नंदन ।
शान - ए - हिंद सुभाष
तुझे कोटि कोटि नमन ।
शेर - ए - हिंदी मुक्ति योद्धा
चरण धूलि को नमन ।
शान - ए - हिंदी सुभाष
तुझे कोटि-कोटि नमन ।
कोटि-कोटि नमन
कोटि-कोटि नमन ।।
मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018
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