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शनिवार, 3 नवंबर 2018

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                    प्रियतमा ( 8 )


                 कवि : मनोजकुमार साहु 
                 Mobile no- 9040981373   

क्या लिखूं ?

क्या सोचूँ ?

लगे डर ।

क्योंकि दुनिया -

कमजोर पर हँसती ।

कब टूटेगा पहिया जिंदगी का ?

कौन जाने ,

कौन बता देगा ?

तय करूँगा रास्ता ।

एक तरफ तू ;

एक तरफ आशिक तेरा ।

रहेगी जब तक ,

चैन से सो जा बाहों में प्रियतमा ।।


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