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गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

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 प्रियतमा ( 2 )


कवि : मनोज कुमार साहु

 न मैं कवि, न लेखक, 
                 न सूर बिहारी मीरा
 शब्दों से स्वागत करता
               तड़पता आशिक तेरा
             प्यार मशीन से नापा नहीं जाता
  क्या करूँ ?
   इस धोखेबाज दुनिया में
                         प्रेम का यकीन कैसे दिलाऊँ ? 
     तू बतला दे मेरी प्रियतमा



नफरती चाटुकार

             नफरती चाटुकार  चारों ओर नफ़रती अनगिनत  कुछ कवि - कलाकार -डरपोक बन कर चाटुकार बांट रहे हैं हिंसा औ नफ़रत हर बार। राजनेता के चर...