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गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

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  क्या - क्या रखा होगा रब ने ?

                           कवि : मनोज कुमार साहु



    सच ही बता दूँ !
    क्यों लोग दीवाने बनते हैं ‍‍‍‍‍‌‍‍‌‍‍‍‌‍‌?
    बनना जायज है
    क्योंकि तेरी पुतलियों में
    इतनी नशा है तो ,
    तेरी आंखों में,
    पलकों में,
    बरौनी में
    और तेरी आंखों की काजल में
    क्या-क्या रखा होगा रब ने ?

     मन जैसी चंचलता
     जब थिरकतीं पुतलियाँ
     क्या बताऊं ?
     मदहोश बनता है दिल
     बेचैन हो उठता है मन
     देखता हूं तुझको
     पुतलियों के आईने में
     तेरी पुतलियों में अगर हूं ,
     आंखों की झील सी गहराइयों में
     क्या-क्या रखा होगा रब ने ?

     आँखों के पैमाने में
     इतनी शराब है तो !
     क्या बताऊं
     क्या बताऊँ, पलकों  की ?
     जो गिरतीं हैं ,
     चुभती हैं
     दिल में शर बन के
     उस टीस में इतनी मिठास है तो
     मृदुल बरौनी में
     क्या-क्या रखा होगा रब ने ?

     जादुई बरौनी से सहला कर
     जब कर देती तू घायल
     क्या बताऊं काजल की ?
     उस में डूबा दे डूबा दे
     और मुझसे रहा नहीं जाता,
     सहा नहीं जाता
     देख लूँ तिलिस्मी अंजन में
     क्या-क्या रखा होगा रब ने ?

                                              

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