क्या - क्या रखा होगा रब ने ?
कवि : मनोज कुमार साहु
सच ही बता दूँ !
क्यों लोग दीवाने बनते हैं ?
बनना जायज है
क्योंकि तेरी पुतलियों में
इतनी नशा है तो ,
तेरी आंखों में,
पलकों में,
बरौनी में
और तेरी आंखों की काजल में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
मन जैसी चंचलता
जब थिरकतीं पुतलियाँ
क्या बताऊं ?
मदहोश बनता है दिल
बेचैन हो उठता है मन
देखता हूं तुझको
पुतलियों के आईने में
तेरी पुतलियों में अगर हूं ,
आंखों की झील सी गहराइयों में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
आँखों के पैमाने में
इतनी शराब है तो !
क्या बताऊं
क्या बताऊँ, पलकों की ?
जो गिरतीं हैं ,
चुभती हैं
दिल में शर बन के
उस टीस में इतनी मिठास है तो
मृदुल बरौनी में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
जादुई बरौनी से सहला कर
जब कर देती तू घायल
क्या बताऊं काजल की ?
उस में डूबा दे डूबा दे
और मुझसे रहा नहीं जाता,
सहा नहीं जाता
देख लूँ तिलिस्मी अंजन में
क्या-क्या रखा होगा रब ने ?
2 टिप्पणियां:
nice
Super hit
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