भाषा के विविध रूप -
1 - मूल भाषा
भाषा का यह भेद इतिहास पर आधारित है ।भाषा की उत्पत्ति अत्यंत प्राचीन काल से हुई होगी । जहाँ बहुत से लोग एक साथ रहते होंगे । ऐसे स्थानों में किसी एक स्थान की भाषा जो आरंभ में उत्पन्न हुई होगी , तथा आगे चलकर जिससे ऐतिहासिक और भौगोलिक आदि कारणों से , अनेक भाषाएँ , बोलियाँ तथा उपबोलियाँ आदि बनी होंगी । मूल भाषा कही जाएगी - उदाहरण के लिए हमारी मूल भाषा भारोपीय भाषा परिवार की भाषा कहलाई ।
2 - व्यक्ति बोली
भाषा के इस लघुतम रूप में एक व्यक्ति की भाषा को व्यक्ति बोली कहा जाता है । वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो मनुष्य के हर क्षण बदलते रहने के साथ ही उसकी बोली में भी परिवर्तनशीलता आ जाती है । जन्म से लेकर मृत्यु तक की किसी व्यक्ति की बोली को व्यक्ति भोली कहा जाता है । उदाहरण स्वरुप कोई व्यक्ति अगर अंधेरे में भी बात करता है तो उसकी बोली से हम उसे पहचान लेते हैं।
3 - उप बोली या स्थानीय बोली
भाषा का यह रूप भूगोल पर आधारित है। एक छोटे से क्षेत्र में बहुत सी व्यक्ति बोलियों का सामूहिक रूप स्थानीय बोली या उप बोली कहलाता है। अंग्रेजी में इसका डायलेक्ट् से सब डाइलेक्ट शब्द चलता है । इस आधार पर उप बोली शब्द ठीक है ।उप बोली का यह रूप बोली से अपेक्षाकृत छोटा होता है । उप बोली साधारण सा समाज के मध्य वर्ग या निम्न वर्ग की बोली होती है ।इसमें साहित्य भी मिलती हैं।
4 - बोली
बोली शब्द अंग्रेजी के डायलेक्ट का प्रतिशब्द हैं ।भाषा विज्ञान की दृष्टि से इसे उपभाषा या प्रांतीय भाषा कहते हैं। एक भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ आती है।
5 - विभाषा
जब कोई बोली किन्ही कारणों से धार्मिक श्रेष्ठता, भौगोलिक विस्तार अथवा उच्च साहित्यिक रचनाओं के आधार पर सामग्र प्रांत या उपरांत में प्रचलित होती हुई साहित्यिका आधार ग्रहण कर लेती है, तो वह विभाषा या उपभाषा कहलाने लगती है। यह अपने उच्चारण, व्याकरण, रूप एवं शब्द प्रयोग की दृष्टि से परिनिष्ठित तथा साहित्यिक भाषाओं से भिंन्न होती है। जैसे अवधि ,मैथिली ,बंगाली, ओड़िया आदि ।
6 - परिनिष्ठित भाषा
इसे टकसाली भाषा भी कहा जाता है। यह उच्चारण तथा व्याकरण की दृष्टि से स्थिर व निश्चित होती है। शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा, व्यवहार, पत्र व्यवहार, समाचार पत्र आदि की भाषा होती है, दूरदर्शन, फिल्म निर्माण ,पत्र पत्रिकाएँ, पत्राचार इस भाषा में होते हैं ।
7 - साहित्यिक भाषा
जिसका प्रयोग साहित्य में होता है। बोलचाल की भाषा की तुलना में प्रायः कुछ कम विकसित, कुछ अलंकृत, कुछ कठिन तथा कुछ परंपरा अनुसार होता है। इसे काव्य भाषा भी कहते हैं।
8 - राजभाषा
जो भाषा देश के प्रशासनिक, वैधानिक कार्य में प्रयुक्त होती है, अर्थात जिसका प्रयोग राज्यों के कामों में होता है। वह राष्ट्रभाषा कहलाती है ।उदाहरण स्वरूप संवैधानिक मान्यता के अनुसार हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा न होकर राजभाषा है।
9 - राष्ट्रभाषा
राष्ट्रभाषा उस भाषा को कहते हैं जो देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा न केवल बोली जाती है, वरन् समझी जाती है। समूचे राष्ट्र की धड़कन कहे जाने वाली राष्ट्रभाषा को राष्ट्र का संपूर्ण जन जीवन एवं संस्कृति धड़कती है। राष्ट्रभाषा राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता की पहचान होती है।
10 - अंतर्राष्ट्रीय भाषा
अंतर्राष्ट्रीय भाषा को विश्व भाषा भी कहते हैं। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार, पत्र व्यवहार, विचार विनिमय, व्यवसाय आदि क्षेत्र में प्रचलित होती है ।जैसे अंग्रेजी भाषा अंतरराष्ट्रीय भाषा है। हिंदी अब इस राह पर तेजी से चल रही है।
11 - विशिष्ट भाषा
विशिष्ट भाषा विभिन्न वर्गों की अलग-अलग भाषाएँ हो जाती है। भाषा विभिन्न रूपों में होती है। जैसे व्यापारियों की भाषा, विद्यार्थियों की भाषा, धार्मिक संस्थाओं की भाषा। इस भाषा पर विभिन्न भाषाओं शब्दों का प्रभाव होता है। जैसे लोहार की भाषा में उसके शब्द होते हैं, बनिए की भाषा में उसके शब्द होते हैं, इंजीनियर की भाषा में उसके शब्द होते हैं, मौलवी की भाषा में उसके शब्द होते हैं ।
12 - मातृभाषा
मातृभाषा मनुष्य को जान्म के साथ ही अपनी माता से प्राप्त होती है। जिसे वह घर पर ही सीखता है।अर्थात जिस भाषा को कोई बालक अपनी माता के दूध के साथ संस्कारों में प्राप्त करता है। वह मातृभाषा कहलाती है।
13 - लिखित भाषा
लिपि का विकास अभिव्यक्ति के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांतिकारी घटना थी, जिससे मनुष्य को अपने विचारों एवं भावों को चिरकाल तक सुरक्षित रखने का सुगम पथ प्रशस्त किया। वह अपने भावों एवं विचारों को लिपिबद्ध करके चिरस्थाई बनाने की कला जान गया था। वस्तुतः यदि लिपि का विकास न हुआ होता तो मनुष्य का सुसभ्य एवं सुसंस्कृत होना बड़ा ही कठिन था। वेद हो या रामायण या बाइबिल किसी भी भाषा में लिखी गई कोई विषय सामग्री। भाषा के लिखित रूप ने इसे संचित करने का शाश्वत उपाय ढूँढ लिया।
14 - अंगिक भाषा
अंगिका भाषा में मनुष्य अपने विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति वाणी द्वारा नहीं करता वरन् उसे अपने हाथ पैर मुख नाक आँख आदि आंगिक अंगों की चेष्टाओं और संकेतों पर ही निर्भर करना पड़ता है। इसे अंगिक भाषा कहा जाता है
15 - वाचिक भाषा
वाचिक भाषा में मनुष्य बोलकर अपने अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है। इस वाचिक भाषा के भाव संप्रेषण की असीमित संभावनाएँ प्रकट हो गई। आंगिक भाषाओं की सीमित अभिव्यक्ति के फलस्वरूप वाचिक भाषा की खोज मानव जगत की सबसे बड़ी क्रांतिकारी उपलब्धि थी।
16 - यांत्रिक भाषा
यांत्रिकी भाषा यंत्रों द्वारा संचित होती है। यंत्रों के आविष्कार के कारण मनुष्य जिसे जब चाहे सुन सकता है। उदाहरण स्वरुप टेप रिकॉर्डर, मेमोरी चिप इत्यादि।
( मनोजकुमार साहु, मोबाइल नं 9040981373 संपर्क करें )